Kusum ayur shubh ki love story
अरे शुभ चल यार आज मजा करेंगे।
देर रात बाहर निकलते समय मंदसौर से बोला दीपक गण के साथ था।
शुभ ने कहा, मैंने पहले ही बहुत ज्यादा शराब पी ली है और अब मैं इस हालत में नहीं हूं कि कहीं जा सकूं?
उमंग और दीपक ने सबकी बात नहीं सुनी और उसे पकड़कर जबरदस्ती कार में बिठाया और एक होटल में जा पहुंचे।
वहां पहुंचकर उमंग और दीपक ने एक कमरा ले लिया। उन दोनों ने पहले ही मोबाइल पर इंतजाम कर लिया था तो होटल का एक मुलाजिम उनके कमरे में एक लड़की को लाया।
उमंग ने उस लड़की को पैसे दिए और लड़की को वहीं छोड़कर चला गया। वह एक सिंपल लड़की थी। लगता था कि वह पहली बार इस तरह का काम कर रही थी।
क्योंकि उसके चेहरे पर घबराहट के भाव थे। उसके कपड़े भी सिंपल थे और कई जगह से फटे हुए थे शुभ उस लड़की के चेहरे को एकड़ देख रहा था। उसे उसमें मासूमियत और घबराहट के मिले-जुले भाव नजर आ रहे थे।
जबकि उमंग और दीपक उसको केवल हवस की नजर से देखे देखे जा रहे थे।
तभी उमंग लड़खड़ा ता हुआ उठा और उसने दीपक व शुभ को बाहर जाने के लिए कहा। वह दोनों बाहर आ गए। अब कमरे में केवल लड़की और उमंग थे।
उमंग ने अंदर से कमरा बंद कर लिया। शुभ को यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। लेकिन उमंग और दीपक ने इतनी ज्यादा शराब पी ली थी कि उन्हें होश ही ना था। वह क्या कर रहे हैं?
काफी देर हो गई तो शुभ ने दीपक को कमरे में जाकर देखने को कहा।
दीपक शराब के नशे में चूर था। ladkhadata हुआ कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर उसे खटखटाने लगा। काफी देर बाद लड़कy ने दरवाजा खोला।
उस लड़की ने दीपक से कहा कि उसका दोस्त सो गया है। उसे उठा लो नशे की हालत में चूर दीपक उस लड़की की बात सुनने के बजाय पकड़कर उसे अंदर ले गया और दरवाजा बंद कर लिया।
शुभ दूर बरामदे में बैठाया सब देख रहा था। दीपक को भी कमरे में गए काफी देर हो गई तो शुभ ने दरवाजा खटखटाया। इस बार भी उसी लड़की ने दरवाजा खोला। वह परेशान दिख रही थी। उसने शुभ की तरफ देखा और कहा बाबू यह लोग कुछ कर भी नहीं कर रहे और मेरा पैसा भी नहीं दे रहे हैं। मुझे पैसे की जरूरत है और जल्दी घर भी जाना है। कहते हुए उस लड़की का गला बैठ सा गया।
शुभ ने लड़की को अंदर चलने को कहा और थोड़ी देर में उसे उसे होटल के दूसरे कमरे में ले गया। उसने जाते हुए देखा कि उमंग और दीपक शराब में चोट बिस्तर पर पड़े थे। शुभ ने दूसरे कमरे में उस लड़की को बैठने को कहा लड़की घबराते हुए बैठ गई। वह थोड़ा जल्दी में लग रही थी। शुभ ने उसे पास रखा पानी पीने को दिया।
जिसे वह एक सांस में ही पी गई पानी पीने के बाद लड़की खड़ी हुई और शुभ से बोली बाबू अगर करना है। जल्दी करो मुझे पैसे लेकर जल्दी घर जाना हैं!
शुभ ने उसके मासूम बातों पर हंसी आ रही थी। उसने उसे पैसे दे दिए तो उसने पैसे रख लिए और शुभ को पकड़ कर बिस्तर पर ले गए और अपने कपड़े उतारने लगी।
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शुभ ने उसका हाथ पकड़ा और कपड़े खोलने के लिए मना किया?
लड़की बोली नहीं, बाबू कुसुम ऐसी लड़की नहीं है। कुसुम ऐसी लड़की नहीं है। जो बिना काम के किसी से भी पैसे ले ले। मैं गरीब जरूर हूं लेकिन भीख नहीं लूंगा। सुबह बोले नहीं पा रहा था। तभी कुसुम ने शुभ का हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर पर ले गई। सब इतना जल्दी में हुआ कि शुभ कुछ कर नहीं पाया।
कुसुम ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और शुभ के भी कपड़े उतारने लगी। उसके मासूम चेहरे को आप बड़े प्यार से देख रहा था। वह कुसुम की किसी बात का विरोध नहीं कर पा रहा था। मासूम बाबा व चेहरे से सबकी नजर हटती तब तक को समझ सब कर चुके थे जब पति पत्नी करते हैं।
कुसुम ने जल्दी से कपड़े पहने और होटल के कमरे से बाहर निकल गई। शुभ अभी भी कुसुम के ख्यालों में खोया हुआ था। समय बीतता गया लेकिन शुभ के दिमाग से कुसुम निकल नहीं पा रही थी।
एक दिन शुभ बाजार में सामान खरीदना था। उसने देखा कि कुसुम उसके पास की एक दुकान से सामान खरीद रही थी।
शुभ उसको देख कर खुश हुआ। उसने कुसुम को आवाज दी तो कुसुम ने मुड़कर देखा और फिर दुकानदार से सामान लेने में जुट गई
कुसुम ने सामान खरीदा और दुकान से बाहर निकल गई।
शुभ उसे पीछे से आवाज देता रहा लेकिन उसने अनसुना कर दिया। कुछ दिन बाद शुभ को कुसुम फिर दिखाई दी।
उस दिन शुभ ने कुसुम का हाथ पकड़ा और उसे भीड़ से दूर खींच कर ले गया और उससे!
उसकी पिछली बार की हरकत के बारे में पूछना चाहता। शुभ के पैरों की जमीन खिसक गई। उसने देखा कुसुम का चेहरा पीला पड़ चुका था और वह बहुत कमजोर हो गई थी। उसने अपनी फटी चुनरी से अपना पेट छिपा रखा था जो कुछ बाहर दिख रहा था।
कुसुम बाहर जाने के लिए शुभ से जोर आजमाइश कर रही थी। शुभ ने किसी तरह से शांत किया और भीड़ से दूर एक चाय की दुकान पर बिठाया। शुभ ने गौर से कुसुम के चेहरे की तरफ देखा। तो उस का दिल बैठ गया।
कुसुम सचमुच कमजोर थी।
बहुत कमजोर हो गई थी। शुभ ने कुसुम से उसकी इस हालत के बारे में पूछा तो पहले तो कुछ नहीं बोली, लेकिन शुभ ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा तो रोने लगी।
शुभ कुछ नहीं पा रहा था।
शुभ कुछ समझ नहीं पा रहा था। कुसुम ने अपने आंसू पोंछे और बोली बाबू मेरी हालत उसी दिन से है। जिस दिन आप और आपके दोस्त मुझे होटल में मिले थे। सब ने उसकी तरफ से वालिया नजरों से देखा तो फिर बोली बाबू मैं कोई धंधे वाली नहीं हूं। मैं उस गंदे नाले के पास वाली कच्ची झोपड़ी में रहती हूं। उस दिन पुलिस मेरे भाई को पकड़ कर ले गई थी क्योंकि वह गली में chars ganja बेच रहा था? उसे जमानत पर छोड़ा ना था और मेरे मां-बाप के पास पैसा नहीं था। अब मुझे ही कुछ करना था।
मैंने अपने पड़ोस में सबसे पैसा मांगा लेकिन किसी ने नहीं दिया था। मेरी एक मौसी बोली कि इस बेरहम जमाने में कोई मुफ्त में पैसा नहीं देता। मौसी की यह बात समझ में आ गई और मैं आप और आपके दोस्तों तक पहुंच गई। कुसुम त्रिपाठी तो सब ने अपनी चेहरे के दर्द को छुपाते हुए पूछा। तुम्हारी हालत कैसे हुई?
कुसुम ने कहा बाबू, यह जानकर आप क्या करोगे या तो मेरी किस्मत है। सब ने फिर जोर दिया तो कुसुम बोली बाबू उस दिन आपके दिए गए पैसों में पैसों से मैं अपने भाई को हवालात से छोड़ा लाइक तो भाई ने पूछा कि पैसे कहां से आए। मैंने झूठ बोल दिया कि किसी से उधार लिए हैं।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद फिर बोली बाबू सब ने पैसा देखा, लेकिन मैंने जो जिस्म बेचकर एक जान को अपनी शरीर में आने दिया तो उसे सब नाजायज कहने लगे और जिस भाई ने भाई को मैंने बताया था, वह मुझे धंदेवाली कहने लगा और मुझे मारने लगा। वह मुझे रोज ही मारता है। यह सुनकर शुभ के कलेजे का खून सूख गया। सब के लिए वह खुद भी खुश और हार मानने लगा। उसकी आंखों में भी आंसू छलक गए।
कुसुम ने देखा तो वह बोली बाबू इसमें आपका कोई कसूर नहीं। अगर मैं उस रात आपके जिस्म आपको जिस नहीं भेजती तो किसी और को भेज दी, लेकिन बाबू उस दिन के बाद से मैंने अपना जिस्म किसी को नहीं भेजा।
किसी को नहीं बेचा, यह कहते हुए वह चुप हुई और कुछ सोच कर बोली बाबू उस रात आपके अच्छे बर्ताव को देखकर मैंने फैसला किया था कि मैं आपकी इस प्यार की निशानी तो दुनिया में लाऊंगी और उसी के सहारे जिंदगी गुजार देंगे क्योंकि हम जैसे गरीब लड़कियों को कहां कोई प्यार करने वाला जीवन साथी मिलता है। इतना कहकर कुसुम का गला भर आया। आगे बोले, बाबू या आप की निशानी है और मैं इसे दुनिया में लाऊंगी । इसके लिए मुझे मरना ही क्यों ना पड़े। इतना कहकर वह तेजी से उठी और अपने घर की तरफ चल दी।
यह सुनकर शुभ एक जैसे जम गया था, वह कह कर भी कुछ नहीं कह पाया। उसने फैसला किया कि वह कल उनके घर जाकर उससे शादी की बात करेगा।
वह रात उस का लंबी लग रही थी। सुबह सुबह जल्दी उठा और बधावा कुसुम के घर की तरफ चल दिया उसके मोहल्ले के पास पहुंचा तो जगह-जगह भीड़ जमी थी। वह किसी अनहोनी के डर को दिल में लिए भीड़ को चीर कर पहुंचा तो उसने जो देखा तो जैसे उसका दिल बाहर निकलने की कोशिश कर रहा हो। कुसुम जमीन पर पड़ी थी। उसकी आंखें खुली थी और चेहरे पर वही मासूम मुस्कुराहट थी। शुभ ने जल्दी से पूछा, क्या हुआ तो किसी ने बताया कि बच्चे के बारे में उसे चाकू से मार दिया है।
क्योंकि कुसुम के पेट में पल रहे बच्चे की वजह से उसे बेइज्जत करते थे। शुभ पीछे हटने लगा। अब उसे लगने लगा था कि वह गिर जाएगा। तभी पुलिस का सायरन बजने लगा तो भीड़ छांटने लगी। शुभ पीछे हटते हुए कुसुम को देख रहा था। उसकी एक हाथ अपने पेट पर था और शायद वह अपने प्यार को मरते हुए भी बचाना चाहती थी। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट ऐसे थी जैसे उन खुली आंखों से शुभ को कहना चाहती हो। बाबू यह तुम्हारे प्यार की निशानी है। पर इसमें तुम्हारा कोई कसूर नहीं है। शुभ पीछे मुड़ा और अपने घर पहुंच कर रोने लगा। वह अपने आप को माफ नहीं कर पा रहा था क्योंकि अगर वह कल ही उससे शादी की बात कर लेता तो शायद कुसुम जिंदा होती बारिश होने लगी थी। बादल जोर से गरज रे। बेबी कुसुम के प्यार के लिए रो रहे थे।
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