कौवे की कहानी

एक समय की बात है, एक गर्मी के दिन एक प्यासा कौवा पानी की तलाश में भटक रहा था। बहुत देर तक उड़ने के बाद, उसने एक बर्तन में पानी देखा। खुशी-खुशी कौवा उस बर्तन के पास आया, लेकिन पानी बहुत कम था, और उसका सिर पानी तक नहीं पहुँच पा रहा था। कौवा परेशान हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। 


वह सोचने लगा, "अगर मैं इस पानी तक पहुँचने के लिए कुछ तरीका निकाल सकूं, तो मुझे पानी मिल सकता है।"


फिर उसे एक आइडिया आया। उसने आसपास की छोटी-छोटी कंकड़ियाँ और पत्थर उठाए और उन्हें बर्तन में डालना शुरू किया। जैसे-जैसे उसने कंकड़ियाँ डालीं, पानी धीरे-धीरे ऊपर आने लगा। आखिरकार, पानी इतना ऊपर आ गया कि कौवा ने आसानी से पानी पी लिया और अपनी प्यास बुझाई।


सीख:

यह कहानी यह सिखाती है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर हम सोच-समझकर और धैर्य से काम लें, तो हम किसी भी समस्या का हल पा सकते हैं।  


कहानी के अंत में यह संदेश भी मिलता है कि सूझ-बूझ और मेहनत से किसी भी समस्या को हल किया जा सकता है।

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